Marriage Puja

विवाह पूजा
विवाह पूजा एक प्रमुख हिन्दू सामाजिक घटना होती है जिसमें दो व्यक्तियों के बीच एक पवित्र बंधन बनता है। इस पूजा का उद्देश्य विवाह के संदर्भ में दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करना और सम्पूर्ण समाज के सामाजिक एवं आध्यात्मिक सुख-शांति की कामना करना होता है।
पूजा की प्रक्रिया:
- विवाह पूजा का आयोजन सुबह किया जाता है, विवाह मुहूर्त के समय।
- पूजा की शुरुआत गणेश पूजा से होती है, जिसे विद्वान या पुजारी के माध्यम से किया जाता है।
- उपयुक्त ग्रहणी अथवा पंडित किसी योग्य विवाह कुंडली के आधार पर दो विवाही जीवनी के बारे में बताते हैं।
- फिर, विवाही जोड़े का वचन लिया जाता है, जिसमें वे आपस में विवाह बंधन को स्वीकार करते हैं।
- विवाही जोड़े को पूजा की वस्त्र धारण करनी चाहिए और पंडित या पुजारी द्वारा आवश्यक मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।
- फिर, मंगल सूत्र का पहनना आवश्यक होता है, जिसे गणेश और लक्ष्मी की पूजा के बाद विवाही पति अपनी पत्नी के गर्वन बांधता है।
- फिर, विवाही पत्नी के माथे पर सिन्दूर का लगाना चाहिए।
- दोनों जीवन साथी एक-दूसरे के सिर पर हल्दी और अक्षटा लगाते हैं, जिससे उनका जीवन खुशियों से भरा रहे।
- विवाही पति और पत्नी अपनी विवाही जीवन को शुभ मंगलमय बनाने के लिए आदित्य और चंद्रमा का पूजन करते हैं।
- इसके बाद, विवाही जोड़े अपने आप को जीवन संगी के रूप में प्रस्तुत करते हैं और विवाही व्रत का आचरण करते हैं।
- पूजा के अंत में, यज्ञोपवीत पूर्ण कर विवाही जोड़े आदित्य की पूजा करते हैं और विवाह के बंधन को पवित्र बनाते हैं।
सामग्री:
- विवाह कुंडली
- मंगल सूत्र
- सिन्दूर (कुमकुम)
- हल्दी और अक्षटा
- फूल
- पूजा थाली
- पूजा की वस्त्र
- गुड़ और घी की बत्ती
- दीपक
- प्राण प्रतिष्ठा के लिए मूर्ति या किसी प्रतीक का प्रतिष्ठापन
- यज्ञोपवीत
- आसन
- अग्नि कुंड